शिव मंदिर जिसकी सीढियों से आज भी निकलती है ध्वनि: जानें रहस्य

भक्तों की हर मुराद पूरी करने वाले महादेव को सर्वोच्च शक्ति का रूप माना गया है। ऐसा कहा जाता हैं कि उनके गुस्से से ना केवल शैतान बल्कि बाकी अन्य देवी-देवता भी डरते हैं। माना जाता है कि जब-जब देवताओं पर संकट आती थी वह भगवन शिव की शरण में चले जाते थे और शिव जी उनको संकट से बहर निकाल लेते थे।
उसी समय से उन्हें सबसे बड़ा देवों का देव कहा जानें लगा। ना केवल देवताओं की बल्कि भोलेनाथ भक्तों की भी हर मुराद पूरी करते हैं। यही वजह है कि पूरे भारत में भगवान शिव की पूजा बहुत ही श्रद्धा से की जाती है।
महादेव का अनोखा मंदिर
भारत में महादेव की अनगिनत मंदिर है, जिसमें से कई मंदिरों का अस्तित्व सालों पुराना बताया जाता है। देश के हर कोने में मौजूद भगवान शिव के मंदिरों में से हम आज हम एक प्राचीन मंदिर के बारे में बात करेंगे, जिसका निर्माण 12वीं शताब्दी में किया गया था। इस मंदिर की सीढ़ियों से संगीत के सातों स्वर निकलते हैं, जिससे यह बाकी मंदिरों से अलग अपनी पहचान बना चुका है। आज हम आपको महादेव के इस अनोखे मंदिर के बारे में कुछ ऐसी बाते बताएंगे, जो बहुत ही कम लोगों को पता है।
ऐरावतेश्वर मंदिर (Airavatesvara Temple)
दरअसल हम बात कर रहें हैं ऐरावतेश्वर मंदिर की, जो दक्षिण भारत के तमिलनाडु राज्य के कुंभकोणम से क़रीब 3 किमी की दूरी पर स्थित है। 12वीं शताब्दी का बना यह मंदिर महादेव को समर्पित है। यह मंदिर ना केवल अपने धार्मिक महत्व के लिए जाना जाता है बल्कि यहां की प्राचीन वास्तुकला भी प्रसिद्ध है। वर्षो की यह मंदिर आज भी अपनी आकृति और अंदर के बने डिजाइन से लोगों को अपनी ओर आकर्षित कर लेती है। इतिहास के अनुसार इस मंदिर का निर्माण राजा राज चोल द्वितीय ने करवाया था।
हाथी के नाम से रखा गया मंदिर का नाम
जानकार बताते हैं कि इंद्र देव के सफेद हाथी ऐरावत ने इस जगह पर महादेव की पूजा की थी, जिसके बाद उस हाथी के नाम से ही भगवान शिव को ऐरावतेश्वर के नाम से इस मंदिर में पूजा जाने लगा। इस मंदिर में आप 12 वीं सदी की कला को 21वीं सदी में भी देख सकते हैं। उस समय किसी भी प्रकार की मशीन की सुविधा नहीं थी कारीगरों ने अपने हाथों से बेहद खूबसूरत पत्थरों पर अपनी कलाकारी का प्रदर्शन किया है। ना केवल भोलेनाथ बल्कि इस मंदिर में वैदिक और पौराणिक देवता स्थिति हैं जैसे इंद्र, अग्नि, वरुण, वायु, ब्रह्मा, सूर्य, विष्णु, सप्तमत्रिक, दुर्गा, सरस्वती, लक्ष्मी, गंगा, यमुना, सुब्रह्मण्य और गणेश।
ऐरावतेश्वर मंदिर की अनोखी सीढ़िया
बहुत पुराना होने के कारण इस मंदिर का कुछ हिस्सा अब टूट गया है। हालांकि मंदिर की खूबसूरती अब भी कम नहीं हुई है। बता दें कि यहां भारतनाट्यम करती मूर्तियां तथा जिमनास्टिक करती हुई मूर्तियां भी देखी जा सकती हैं। इस मंदिर को सबसे अलग और खास बनाती हैं यहां की सीढ़ियां। दरअसल मंदिर के प्रवेश द्वार के पास पत्थर की सीढ़ी बनी हुई है, जिसकी हर एक सीढ़ी अलग-अलग ध्वनि निकालती है। इसके सातों स्वर सुने के लिए आपको किसी लकड़ी या पत्थर से ऊपर से लेकर नीचे तक सभी सीढ़ियों को रगड़ना होगा। यही वजह हैं कि यह सीढ़ी Singing Steps के नाम से भी जानी जाती हैं। अब इस सीढ़ी को सुरक्षित रखने के लिए उसे घेर दिया गया है। अगर आप कभी तमिलनाडु घूमने आने का प्लान बनाएं तो ऐरावतेश्वर मंदिर आकार भोलेनाथ का आशिर्वाद लें और इस मंदिर की खूबसूरती भी जरुर देखें।