खाटू नहीं जा पाए तो PHOTOS में देखिए मेला: 40 लाख से ज्यादा भक्त पहुंचे, कोई पैदल तो कोई पेट के बल आया, पैर रखने की जगह नहीं

मोर थीम पर सजाया था मंदिर
कोरोना के कारण दो साल बाद मेला भरा गया। भक्तों ने होटल और धर्मशालाओं में भी एडवांस बुकिंग करा ली थी। मंदिर को मेले के लिए आर्टिफिशियल मोर पंख से सजाया गया था। सजावट पर करीब 30 लाख रुपए खर्च किया गया। हर दिन बाबा का अलग शृंगार किया गया। बेंगलुरु और कोलकाता से हेलिकॉप्टर से फूल मंगवाए गए। मंदिर कमेटी व प्रशासन ने मेले के दौरान बाबा के दर्शन के लिए 9 जिगजैग बनाए थे। चारण मैदान, लखदातार मैदान में बने जिगजैग से होकर भक्त मंदिर तक पहुंचे। जगह-जगह भंडारे, मेडिकल कैंप और पैर दर्द होने पर मसाज करने का भी इंतजाम किया गया।
कोरोना के कारण दो साल बाद खाटूबाबा का मेला भरा। देश के अलग-अलग राज्यों से लोगों का आना मेले से पहले से ही शुरू हो गया था।

मोर पंख के बीच राधा-कृष्ण की मनमोहक तस्वीर
कई किमी पैदल और पेट के बल लेटकर आए भक्त
मेले में कई विदेशी भक्त भी नजर आए। रूस से आया भक्त मोलिक रींगस से खाटू तक पैदल निशान लेकर आया। इसके अलावा कई राज्यों से भक्त पैदल और पेट के बल लेटकर आए। एक पांच साल का बच्चा धूप में भी लेटकर बाबा के दर पर पहुंचा।
रींगस से तोरण द्वार तक भक्तों का रैला
मेले के चलते रींगस में खाटू मोड से खाटू कस्बे तक वनवे किया गया। ऐसे में पूरी सड़क श्रद्धालुओं से भरी हुई नजर आई। बड़ों के साथ बच्चे भी एक-दूसरे को गुलाल लगाकर पदयात्रा करते हुए आए। हरियाणा के युवा श्रद्धालु नौकरी की अरदास के लिए टोकरी में बाबा देगा नौकरी के जयकारे लगाते हुए आए थे।
हाथों में निशान, चेहरे पर गुलाल और मुंह पर बाबा का नाम। ऐसा ही नजारा लक्खी मेले में देखने को मिला। कोई पहली बार दर्शन करने तो कोई हर बार की तरह बाबा से मिलने पहुंचा
श्याम के दीवानों में केवल भक्ति ही नहीं स्टाइल भी सिर चढ़कर बोल रहा था। महिलाएं भी अपने ग्रुप के साथ सिर पर साफा बांधकर पहुंची।
बच्चों का अलग रहा उत्साह
मेले में बड़ों के साथ बच्चे भी बड़ी संख्या में बाबा के दर्शन करने पहुंचे। बच्चों उत्साह भी देखते ही बनता था। यूपी के अलीगढ़ का रहने वाला पांच साल का अभिमन्यु रींगस से खाटू तक पेट पलायन करके बाबा के दर्शन करने पहुंचा। बच्चे की मां नंदिनी ने बताया कि वह पहली बार खाटूधाम आए है। रींगस आने के बाद बाकी भक्तों को देखकर बेटे ने भी पेट पलायन करने की जिद्द की। उसकी भक्ति की आगे कुछ नहीं कहा और वह पेट के बल बाबा के दर की ओर जाने लगा। कई बच्चे ऐसे थे तो झूमते-नाचते और गुलाल खेलते हुए अपनी मस्ती में मंदिर पहुंचे।
भक्तों में बाबा की दीवानगी
सीकर से खाटू मार्ग तक भक्त हाथों में निशान लेकर नजर आते थे। भक्तों की आस्था का आलम ये रहा कि, कोई पालकी में तो कोई टोकरी में लड्डू गोपाल को अपने साथ लेकर आया। पैदल यात्रियों के जत्थे के अलावा पेट पलायन करते हुए श्रद्धालु आए। भक्तों का कहना था कि बाबा ने उनकी हर मुराद को पूरा किया है।
मेले में झूलों, चाट-पकौड़ी और साज-सामान की दुकानों के अलावा इस बार ऊंट भी देखें गए। पहली बार लक्खी मेले में भक्तों ने कैमल सफारी का आनंद लिया।
रिलैक्सिंग चेयर से दूर किया दर्द
मेले में पहली बार थकान और दर्द को दूर करने के लिए लगी मशीन लुधियाना के ड्राई फ्रूट्स बिजनेसमैन लक्ष्मी सिंघानिया के श्याम चरण ट्रस्ट ने पदयात्रा करके आने वालों के लिए 20 लाख रुपए कीमत के 6 तरह के 150 डिवाइस लगाए थे। मेले में थके हारे भक्तों को आराम देने के लिए रिलेक्सिंग चेयर, लेग मसाज मशीन, वार्म वाटर मशीन, वाइब्रेटर मशीन और वेस्ट मशीन लगाई गई। भक्तों ने इस पर बैठकर पैर, कमर और शरीर के अन्य हिस्सों के दर्द से राहत ली। ज्यादातर बुजुर्गों और महिलाओं ने इसका फायदा लिया। भक्तों की सेवा के लिए जगह-जगह मेडिकल कैंप लगाए गए। 24 घंटे डॉक्टरों की टीम ने भक्तों की सेवा की। चोट लगने पर, पैरों में सूजन, गर्मी के कारण उल्टी होने पर भक्तों का उपचार किया गया।
स्काउट गाइड सेवा में लगे
भक्तों की सेवा के लिए जगह-जगह स्काउट गाइड तैनात रहे। पानी पिलाने के साथ ही रास्ता बताते हुए नजर आए। इसके अलाव विकलांग लोगों को सहारा देकर दर्शन करवाएं। रास्ता भटके लोगों को अपनों से मिलवाया।
एकादशी पर भरा मुख्य मेला
बाबा खाटूश्यामजी का मुख्य मेला एकादशी पर भरा गया। इस दिन बाबा नगर भ्रमण पर निकले। खाटूधाम में पैर रखने तक की जगह नहीं मिली। फूलों से सजे रथ में सवार बाबा नगर भ्रमण कर वापस मंदिर पहुंचे। इसके बाद लाइन में लगकर लोगों ने दर्शन किए।